पहले प्यार का पहला मजा

किशोरावस्था का प्रेम जब शारीरिक सुख की मांग करने लगे तो एक जबरदस्त चुदाई की पटकथा लिखी जाती है. मेरे और प्रिया के सम्बन्ध में तो भाग्य ने स्वयं ये पटकथा लिख रखी थी. हाँ! शुरुवात तो आपको कहीं न कहीं से करनी पड़ती है. मेरे और मेरी पड़ोसन प्रिया के कौमार्य भंग की गर्मागर्म कहानी…..

हाय दोस्तों! मेरा नाम निशात है. मेरी हाईट 6 फुट की है और मेरा रंग साँवला है. ये कहानी मेरी और मेरे पड़ोस की लड़की प्रिया की है. प्रिया की हाईट 5.5 फुट और रंग गोरा है. पतली कमर वाली प्रिया बहुत ही सेक्सी लगती है. मैं और प्रिया बचपन से ही साथ-साथ पढ़े थे. 12वीं कक्षा के बाद मेरा और उसका एडमिशन एक दूर शहर के अच्छे कॉलेज में हो गया. प्रिय के घर वालों ने मुझे उसका ध्यान रखने को बोला. मैं शहर में कमरा किराए पे लेकर रहता था और वो गर्ल्स हॉस्टल में.

कभी-कभी मुलाकात हो जाया करती थी. एक दिन क्लासेज ख़त्म होने के बाद जब मैं कॉलेज से बहार आ रहा था तो देखा कि प्रिया एक लड़के के साथ कहीं जा रही थी. वो दोनों वहां से कॉलेज के पार्क में चले गए. मैंने उनका पीछा किया. पार्क में जाने पे मैंने देखा कि उस वक़्त वहां कोई नाहीं था. मैं एक पेड़ के पीछे छुप कर उन्हें देखने लगा. प्रिया और वो लड़का आपस में चिपके हुए थे और किस कर रहे थे. मैंने तुरंत ही अपना मोबाइल निकालकर उनकी तस्वीरें ले लीं.

अगले दिन जब प्रिया मुझे मिली तो मीने पूछा – कल पार्क में क्या हो रहा था?

फिर मैंने उसे वो तसवीरें दिखायीं. उसे तो मानो सांप सूंघ गया हो. वो बिना कुछ बोले वहाँ से चली गयी. मेरा फोन साइलेन्ट मोड पे था इसलिए जो भी काल आ रही थी मुझे पता नहीं चल रहा था. घर जाके देखा तो प्रिया की 5-6 मिस्ड कॉल थी. मैंने प्रिया को कॉल किया तो वो रोने लगी. मुझे रिक्वेस्ट करने लगी कि ये बात मैं किसी को न बताऊँ. उसे शांत कराते हुए मैंने कहा कि किसी को नहीं बताऊंगा.

अगले दिन कॉलेज में उसका फोन आया, उसने मुझे पार्क में बुलाया था. जब मैं वहां पार्क में गया तो देखा कि वो अकेली नजरें नीचे किये खड़ी थी.

मैंने पूछा – क्यों बुलाया था?

वो मुझसे चिपक कर रोने लगी. मुझे उसके चिपकने से आनन्द आ रहा था. मन ही मन मैं सोच रहा था की काश! ये यूँ ही चिपकी रहे.

वो मुझसे अलग होती हुयी बोली – आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगी. प्लीज! गाँव में किसी को मत बताना. मेरे घर वाले मुझे पढने भी नहीं देंगे.

मैंने उसके आंसू पोछे और कहा- पागल! मैं किसी को नहीं बताऊंगा.

उस घटना के बाद प्रिया मुझसे काफी क्लोज हो गयी. उसके फोन कॉल दिन में कई बार आने लगे. एक दिन वो मुझसे बोली – चलो फिल्म देखने चलते हैं.

हम लोग फिल्म देखने गए तो वो बोली- तुम किसी लड़की को पसन्द करते हो?

मैंने कहा- मैं जिसे पसंद करता हूँ, वो मुझे पसंद नहीं करती.

उसने मुझसे नाम पूछा तो मैंने कोई जवाब नहीं दिया. वो बोली- रहने दो. मत बताओ.

हमलोग वहां से वापिस आ गए. अगले दिन सुबह-सुबह उसका मैसेज आया. मुझे तो अपनी आखों पे यकीन ही नहीं हुआ. उसमे लिखा था, “ निशात! आई लव यू.” मैंने भी उसके जवाब में “आई लव यू प्रिया” लिख दिया. फिर हमारी बातों का सिलसिला और ज्यादा बढ़ गया. फिर कोल्लीगे की छुट्टियाँ हो गयी और हम घर आ गए. मैं उससे मिलने की सोचने लगा.

एक दिन उसके घर के सभी लोग शादी में गए थे. उसने मुझे फोन करके घर आने को कहा. मैं आनन-फानन में उसके घर पहुंचा और उसे अपनी बाँहों में भर लिया.

उसने कहा- इतनी जल्दी भी क्या है? पहले गेट तो बंद कर लो.

मैंने गेट बंद किया और फिर से उससे चिपक गया. पहले तो उसने मना किया लेकिन जब मैंने उसे नहीं छोड़ा तो वो भी मेरा साथ देने लगी. मैं उसके होठों पे किस करने लगा. मैंने महसूस किया कि उसने अपनी टी शर्ट की नीचे कुछ नहीं पहना हुआ था. मैंने तुरंत अपना एक हाथ उसकी टी शर्ट में घुसा दिया. अब तक उसके 30” के बूब्स काफी कठोर हो गए थे. मैं उसके बूब्स को सहलाने लगा. वो काफी गर्म होने लगी. मैं उसके टी शर्ट को उतार कर उसके स्तनों को चूसने लगा.

मैं भी पहली बार ही सेक्स कर कर रहा था इसलिए मुझे भी काफी मजा आ रहा था. मेरा 7” का लंड पैन्ट में तम्बू बना रहा था. मैंने प्रिया का एक हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया. वो उसे सहलाने लगी. अब मुझे खुद पे काबू करना मुश्किल हो रहा था.

मैंने तुरंत उसे फर्श पे लिटा कर उसका लोवर नीचे खींच दिया और एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया. उसकी चूत काफी गर्म हो रही थी और पानी छोड़ रही थी. उसकी साँसे अब तेज चल रही थीं. मैंने अपनी पैन्ट को उतार कर लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया. इस बार जब उसकी नजर मेरे लंड पे पड़ी तो वो घबरा गयी और कहने लगी – ये तो बहुत बड़ा है, मेरी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा.

मैं उसकी बात को अनसुना करते हुए उसके स्तनों को चूसने लगा और उसकी पैंटी को भी नीचे खींच दिया. उसकी गुलाबी चूत को देखकर मेरा लंड फटा जा रहा था. मैंने और देर न करते हुए, लंड को उसकी चूत पे सेट किया और एक धक्का मारा. चूत के काफी टाईट होने के कारण लंड अन्दर नहीं जा पाया. मैंने फिर से लंड को चूत पे लगाकर एक और जोरदार धक्का मारा. लंड थोड़ा अन्दर चला गया लेकिन वो दर्द के मारे रोने लगी. मैं रुक गया और उसके होठों पे किस करने लगा.

थोड़ी देर बाद वो रिलैक्स होने लगी. उसके दोनों होठों को अपने होठों की गिरफ्त में लेते हुए मैंने एक और धक्का मारा. इस बार लंड में भी दर्द हुआ लेकिन वो छटपटाने लगी और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी. मैं उसको जकड़े रहा और उसके होठों को चूमना भी जारी रखा हुआ था. साथ ही साथ उसके स्तनों को भी सहलाए जा रहा था. कुछ देर बाद वो आराम महसूस करने लगी. तब मैंने हलके हलके धक्के लगाने शुरू किये. अब वो भी मेरा साथ देने लगी और उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं.

वो नीचे से गांड उछाल- उछाल कर मेरा साथ दिए जा रही थी. हम दोनों का शरीर पसीने से तर-बतर हो रहा था. अचानक उसने मुझे कास के दबोच लिया जैसे अब मुझमे समाने वाली हो. कुछ ही देर में वो झाड़ गई. मुझे अपने लंड पे कुछ गर्म गर्म गिरता हुआ महसूस हुआ. उसकी चूत की गर्मी से मैं भी जल्दी ही झड़ गया. फिर उसके बगल में निढाल होकर गिर पड़ा.

हमें बहुत समय हो चुका था इसलिए अब हम उठने लगे. उसने फर्श और अपनी चूत पे खून देखा तो वो रोने लगी. मेरे लंड पे जलन हो रही थी, शायद मेरा लंड भी छिल गया था. फिर हमने खुद को साफ़ किया और कपड़े पहने. उससे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था. वो बोली- आज तो तुमने मेरी जान ही निकाल दी.

मैंने कहा – प्रिया रानी! यही तो प्यार का असली मजा है.

उस दिन के बाद भी मैंने उसे कई बार चोदा. आपको मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी उसपे अपनी राय जरूर दें.