अल्हड़-मस्त- बिन्दास- बेफिक्र नेहा

ये कहानी है, दो आजाद बंधनमुक्त उड़ने वाले परिंदों की….. जीवन के लिए अपने नियम खुद बनाने चाहिए. यदि ये नियम किसी और को परेशानी में नहीं डाल रहे तो फिर आप दुनिए के सबसे खुश इंसान बन सकते हैं. जब दूसरों से कोई अपेक्षाएं न पालो तो खुद ब खुद आपको अपनी खुदमुख्तारी का आभास होने लगता है. एक जोड़े की सेक्सी कहानी………

ये कहानी मेरे एक दोस्त की है जिसे मैं उसके शब्दों में ही बयान कर रहा हूँ….

हाय दोस्तों! नीरज का आप सभी को नमस्कार!

मैं एक 21 वर्षीय नौजवान हूँ जो बस अभी-अभी एक प्राइवेट जॉब ज्वाइन किया हूँ, अपने शहर से लगभग 100 किमी की दूरी पे स्थित दुसरे शहर में. शनिवार और रविवार को अक्सर घर आ जाता हूँ. शुरू से ही एक बिंदास जीवन जीने का आदी हूँ. कोई नियम नहीं, कोई बंधन नहीं. बस अपनी लाइफ को अपने तरीके से एन्जॉय करता हूँ.

बात अभी कुछ ही दिनों पहले की है जब मैं एक ए सी बस द्वारा घर से वापिस लौट रहा था. ये एक 3X2 सीटर बस थी. मैं खिड़की की साइड लेकर बैठ गया. दूसरी सीट पे लापरवाही में मैंने अपना बैग रखा हुआ था और खिड़की के पास का पर्दा हटाकर बाहर देख रहा था. तभी एक लड़की ने आवाज दी- क्या यहाँ कोई और बैठा हुआ है?

क्या मस्त मॉल थी. गोरी और संतुलित फिगर वाली. नीली कैप्री हलके हरे रंग की टॉप पहनी उस क़यामत को कुछ देर तो मैं देखता ही रहा फिर मैंने नही में सर हिलाया और अपना बैग हटा कर ऊपर रख दिया. वो थैंक यू बोलकर बैठ गयी.

बैठते समय उसकी गांड मेरी कुहनी से रगड़ खा गयी. सुसुप्त अवस्था में सोया हुआ मेरा लंड एकदम से उछल पड़ा. अब तो मेरे मन में बेचैनी शुरू हो गयी थी. उसका कन्धा लगातार मेरे कंधे से छू रहा था. उसने कानों में इयरफोन लगा लिया और अपने मोबाईल में व्यस्त हो गयी. बस भी चल पड़ी.

जब भी बस थोड़ी भी हिलती तो उसकी मांसल जांघें मेरी जांघों से रगड़ खाती. पैन्ट के अन्दर जो मेरे लंड की हालत हो रही थी वो मैं बयान नहीं कर सकता. लग रहा था की बस ये सफ़र खत्म ही न हो.

थोड़ी देर बाद उसने मोबाइल अपने पर्स में रख लिया. शायद उसे नींद आ रही थी. वो सोने लगी. और थोड़ी देर बाद उसका सर मेरे कंधे पे था. उसकी बायीं चूची मेरे दायें हाथ पे दबाव बना रही थी. मेरी तो हालत खराब हो रही थी. मैंने भी अपने दायें हाथ को उसकी चूची पे थोड़ा और दबाव बनाया. मन तो कर रहा था दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ पकड़ कर दबा दूं.

अचानक एक स्टॉपेज आया जहाँ बस वाले ने चाय-नाश्ते के लिए बस रोक दी. वो अभी भी सो रही थी. मैंने देखा बस के लगभग सारे लोग नीचे उतर चुके थे. मैंने देखा उसकी टॉप के गले से उसकी चूचियों के बीच की घाटियाँ साफ़ दिख रही थीं. उसने अन्दर काली ब्रा पहन रखी थी. मैंने अपने दायें हाथ से ही उसकी सटी हुयी चूची को धक्का दिया. वो अचकचा कर उठ गयी. मैंने कहा –स्टॉपेज है! कुछ चाय वाय पीनी है?

उसने अपनी चूची पे हाथ फेरा और कहा- चलिए.

बस से उतरने तक वो रह रह कर अपनी बायीं चूची को सहला रही थी. लेकिन उसने कुछ कहा नहीं. शायद मैंने कुछ ज्यादा तेज से ही धक्का दे दिया था. चाय पीने के दौरान उसने अपना नाम नेहा बताया. मैंने कहा- सिर्फ नाम ही नेहा है, या किसी से नेह भी करती हो?

उसने कहा- मतलब?

मैंने कहा- मतलब ये कि इतनी खूबसूरत हो, तो कोई ब्वायफ्रेंड भी जरूर होगा?

वो हँस पड़ी. और बोली- तुम सारे लड़के न सच में एक जैसे होते हो? सच बताना यदि मैं कहूँ की हाँ मेरा ब्वायफ्रेंड है तो क्या मुझे लाइन मारना बंद कर दोगे?

उसके मुँह से ये खर्रा जवाब सुनकर मैं झेंप गया. फिर उसने कहा- यार मैं किसी रिलेशन या कमिटमेंट में यकीन नहीं रखती. जो अच्छा लगा, उससे बातें कर लिया. उसके साथ थोड़ा टाइमपास मस्ती की और जैसे ही उसने कोई हक़ जताना चाहा तो फुर्रर्रर…

यार! क्या बिन्दास लड़की थी. मेरे जीवन में तो पहली.

फिर उसने कहा- और अपने बारे में बताओ? कोई गर्लफ्रेंड वगैरह है या नहीं?

मैंने स्टाइल मारने के लिए बोल दिया- हाँ!

लेकिन वो मेरी कल्पना से आगे की चीज थी. उसने कहा- सेक्स-वेक्स किया उसके साथ या सिर्फ सोयी हुयी लड़की के बूब्स दबाने तक का ही शौक है?

मेरी तो गांड फट गयी. उसके मुँह से ये सुनकर. मैं तो बगलें झाकने लगा..

वो दिर हंसी और बोली- जाने दो! मैं तो मजाक कर रही थी.

इतने में सभी बस का हॉर्न बजा और सभी जल्दी-जल्दी बस में चढ़ने लगे. वो आगे थी और मैं ठीक उसके पीछे. वो सीढ़ी चढ़ ही रही थी कि आगे से उसे धक्का लगा और वो अचानक से मेरे ऊपर आ गयी. मैंने उसे अपने ऊपर गिरने से रोका तो उसके दोनों बूब्स मेरे हाथों में आ गए. हाय! क्या मोमेंट था. वो संभली और फिर आकर हम दोनों सीट पे बैठ गए. हम दोनों ही मुस्कुरा रहे थे. मैंने कहा- सॉरी! इस बार मैंने जानबूझ कर नहीं पकड़ा था?

उसने कहा- इसका मतलब पिछली बार जानबूझ कर किया था?

मैं फिर झेंप गया और वो फिर से हँस दी. उसने कहा- एक बात सच-सच बटाओगे?

मैंने कहा- पूछो!

नेहा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है न?

मैंने सर खुजाते हुए धीरे से कहा- न..नहीं…

नेहा- हम्म…..

फिर उसने अपने बारे में बताना शुरू किया. वो भी घर से दूर रहकर जॉब करती है और अकेले ही रहती है. उसका किराए का फ्लैट मेरी ऑफिस के पास ही था. अब तक न जाने कितने ही ब्वायफ्रेंड रह चुके हैं और एक दो तो गर्लफ्रेंड भी. लेकिन एक समय के बाद सब उबाऊ हो जाते हैं. आजकल कोई उसके साथ नहीं है. बातें होती हैं…लेकिन ब्वायफ्रेंड की तरह नहीं.

हम दोनों ने एक दूसरे के नम्बर एक्सचेंज किये और अपने- अपने घोंसले में लौट आये. रोज हमारी कुछ न कुछ बातें होती. वो अक्सर मेरी ही बातों में मुझे उलझा देती. जैसा की मैंने बताया की अक्सर हर शनिवार मैं घर चला जाता हूँ लेकिन इस बार फ्राई डे की रात में नेहा ने फोन करके बोला- कल मिल सकते हो? मूवी चलते हैं.

अगले दिन हम दोनों ने साथ में “बेफिक्रे” मूवी देखी. मूवी देखकर हम रेस्टोरेंट में लंच करने गए. मैंने बोला- नेहा! यार इस फिल की एक्ट्रेस मुझे बिलकुल तुम्हारी तरह लगी. बिलकुल बिन्दास.

उसने कहा- नहीं! मैं सिर्फ अपनी तरह हूँ. खाने के बाद डिस्को चलोगे. मैंने हाँ बोल दिया. वाहन जाकर मैंने बियर पी और उसने वोद्का.

अभी शाम के 6 ही बज रहे थे, लेकिन शायद वो थक गयी थी. उसने कहा- घर चलते हैं.

मैंने कहा- ठीक है! बाय…

नेहा ने अजीब गुस्सैल नजरों से मुझे देखा और बोली- अरे बुद्धू! मैंने कहा ….मेरे घर चलते हैं…हम दोनों…. सच में तुम्हारी कभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही होगी.

मैंने सॉरी बोला और उसके साथ चल पड़ा.

उसका घर ज्यादा दूर नहीं था इसलिए हम पैदल ही साथ में बातें करते हुए चल पड़े. फिर एक जगह वो रुक गयी और बोली- अब मैं यदि तुमसे बोलूँ की उस मेडिकल स्टोर पे जाओ! तो प्लीज्ज्ज….मुझसे वो बेहूदा “क्यों?” वाला क्वेश्चन मत पूछना….

मैं सच में कुछ देर सोचता रहा…..फिर समझ में आते ही ख़ुशी से दौड़कर मेडिकल स्टोर से कॉन्डोम खरीद कर ले आया.

घर में आते ही मैंने उसके चूतड़ पे हाथ फेर दिया. उसने मुझे घूर कर देखा…..फिर बोली -जाकर फ्रेश हो लो.

मैं नहाने चला गया. वापिस लौटा तो सिर्फ तौलिया लपेटे हुए था. उसने मेरे एक हाथ में रिमोट और दुसरे हाथ में चाय का कप थमाते हुए कहा- टीवी देखो! मैं बस अभी आई….

कहकर वो नहाने चली गयी. मैंने टीवी ऑन भी नहीं किया और बस चाय की चुस्कियां लेते हुए उसके बारे में ही सोचता रहा.

नेहा भी जल्दी ही बाथरूम से निकल आई. वो भी एक तौलिया लपेटे हुयी थी. हालाँकि उसकी आधी चूचियां तौलिये से दबकर बहार ही थी. उसके काले बाल गीले थे और उसके कंधे पे फैले हुए थे. उस समय वो क़यामत लग रही थी.

मैंने आगे बढ़ कर उसे दबोच लिया. सोफे पे ले जाने लगा. लेकिन इस बीच मेरा तौलिया खुल गया. मैंने नीचे अंडरवियर भी नहीं पहना था. मेरा ताना हुआ लंड देखकर नेहा ने ख़ुशी से कहा- वाह मेरे शेर! पहली बार मैं तुमसे इम्प्रेस हुयी. और अपने हाथों में लेकर मेरे लंड को सहलाने लगी.फिर वो घुटने के बल बैठ गयी और मुखमैथुन करने लगी. उसके चेहरे की तरफ देखकर मुझे जाने क्या हुआ? मुझे जबरदस्त उत्तेजना होने लगी…मुझे आगा मैं झड़ जाऊंगा…..और सच में ऐसा ही हुआ. मैंने ऊफ्फ्फ…आआह्ह….ओह माय गॉड…..कहता हुआ उसके मुँह में ही झड़ गया. वो सारा वीर्य अपने मुँह में लेकर उसे थूकने के लिए बाथरूम चली गयी. मैं सोफे पे बैठ गया और इतनी जल्दी झड़ने की वजह से काफी शर्मिंदा हो रहा था.

नेहा आई और मुझसे बोली- तुम्हारा ये पहली बार है न?

मैंने कहा- हाँ!

उसने कहा- कोई बात नहीं. पहली बार में ऐसा होता है.

फिर उसने एकदम से अपने शरीर पे पड़े तौलिये को गिरा दिया. उसने अन्दर कुछ नहीं पहना था. उसकी चूचियां परफेक्शन की हद तक गोल थीं और उसपे बड़े भूरेरंग के निप्पल. चूत देखकर तो ऐसा लग रहा था की कभी इसकी झांटे आती ही न हों.

उसका ये यौवन देखकर मेरा लंड फिर से तनने लगा. उसने मुझे उठने को कहा और मुझे अपने बेडरूम का रास्ता दिखाती हुयी आगे- आगे चलती रही. हाय! क्या गांड थी उसकी. बिलकुल गोल और उभरी हुयी. चलते समय उसके चूतड़ हिल-हिल कर मेरा लंड हिला दे रहे थे.

बेड पे जाकर वो लेट गयी. उसने मुझे इशारे से अपने ऊपर बुला लिया और बोली- नीरज! मेरे होठों को चूसो और अपने हाथों से मेरी चूचियों को मसलो.

मैं वैसा ही करने लगा. वो मस्त हुए जा रही थी. फिर उसने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पे रगड़ना शुरू किया. अब वू सिसकारियाँ लेने लगी थी. उसने कहा- नीरज क्या तुम मेरी चूत चाट सकते हो?

मैं पलक झपकते ही उसकी गुलाबी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था. फिर उसने अपने पैरों को और फैला दिया और गांड को उठा कर एक तकिया अपने चूतड़ के नीचे रख ली. अब उसकी चूत और गांड का छेद मुझे साफ-साफ दिख रहा था.

उसने कहा- नीरज तुम मेरी चूत को ऊँगली से चोदो और मेरी गांड अपनी जीभ से चाटो.

एक अनुभवी की बात एक अनाड़ी ने तुरंत मान ली. मैं नेहा की गांड का भूरा छेद चाटते हुए उसकी चूत को अपनी दो उँगलियों से चोद रहा था. अब तक मेरा लंड अपने पूरे आकार में आ चुका था. नेहा की सिस्कारियां भी बढती जा रही थीं. उसने अगला आदेश दिया- अब कॉन्डोम पहन कर अपने लंड से मेरी चूत को चोद दो प्लीज….

मैं इसी का तो इन्तजार ही कर रहा था. मैंने तुरंत अपने लंड पे कॉन्डोम चढ़ाकर उसकी चूत में प्रविष्ट करा दिया. ताबड़तोड़ चुदाई शुरू हो गयी. क्या जबरदस्त चुदक्कड़ थी नेहा. मेरा लंड के हर धक्के का जवाब वो अपनी गांड उछाल कर दे रही थी. पूरे बेडरूम में चुदाई का मधुर संगीत….थप…थप…फच….फच…. उफ्फ्फ… अआह्ह्ह….. इस्स्स्सस…. सीईईईइ… गूँज रहा था. 15 मिनट की मस्त चुदाई के बाद हम दोनों साथ में ही झड़ गए और फिर बेड पे ही सो गए. तकरीबन आधी रात को हमने फिर से चुदाई की और सुबह देर से उठे.

मेरा अगला दिन और भी शानदार गुजरा जब मुझे उसकी गोल गांड चोदने को मिली. उसकी कहानी फिर कभी. तब तक आप सब मुझे मेल करते रहिये…