अपने जीवन का पहला सेक्स किया

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मेरा नाम रवि है मैं लखनऊ का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 23 वर्ष है। मैं कॉलेज में पढ़ता हूं लेकिन मेरे कॉलेज में ज्यादा दोस्त नहीं है क्योंकि वह सब लोग मुझे कम दिमाग वाला व्यक्ति समझते हैं। मैं बहुत ही सिंपल और साधारण हूं। मैं ज्यादा किसी से बात करना पसंद नहीं करता, मेरा आज तक कोई भी अच्छा दोस्त नहीं बन पाया। मेरे घर पर भी मेरे माता-पिता मुझे हमेशा ही ताने मारते रहते हैं और कहते हैं कि तुम्हें दिमाग की कमी है और तुम अपना फैसला खुद नहीं ले सकते। वह लोग मुझे बचपन से ही ताने मारते रहते हैं इसीलिए मुझे उनके साथ बात करना बिलकुल अच्छा नहीं लगता। मैं उनसे बहुत कम बात करता हूं, मुझे सिर्फ मेरी बहन ही समझती है लेकिन उसकी भी अब शादी हो चुकी है इसलिए वह मुझसे अब कम ही बात करती है। मेरी जब भी उससे फोन पर बात होती है तो मुझसे बहुत खुशी से बात करती है।

वह बचपन से ही मेरा हमेशा साथ देती है और मुझे कभी भी कुछ आवश्यकता होती है तो वह हमेशा ही मेरी मदद करती है। बचपन में जब भी कोई मेरा दोस्त मुझे इस प्रकार से कहता था तो मेरी बहन उसे हमेशा ही डांटती थी। मेरे कॉलेज में कई बार मेरे इस भोलेपन की वजह से मेरा बहुत मजाक बना, सब लोग मुझे हमेशा ही चिढ़ाते रहते थे इसीलिए मैं ज्यादा किसी से बात नहीं करता और अपने कमरे में ही बैठकर सिर्फ वीडियो गेम खेलता हूं और मुझे गेम खेलने का बहुत शौक है इसलिए मैं जब भी कॉलेज से आता हूं तो उसके बाद मैं गेम खेलने पर ही लगा रहता हूं। एक बार हमारे पड़ोस में एक लड़की रहने आती है, वह उम्र में मुझसे बड़ी है। उसकी उम्र करीबन 28 वर्ष है और वह जॉब करती है। जब भी मैं कॉलेज जाता था तो वह हमेशा ही मुझे देखा करती थी और मुझे लगता था शायद उसे भी मैं अच्छा नहीं लगता हूं इसीलिए वह मुझे घूर घूर कर देखती है। जब भी मैं उसे देखता तो मैं जल्दी से चला जाता हूं।

एक दिन वह मेरे पास आई और मुझसे पूछने लगी कि तुम्हारा क्या नाम है, मैंने उसे बताया कि मेरा नाम रवि है और मैं यही पास में रहता हूं लेकिन मैं उसकी आंखों से आंखें नहीं मिला पा रहा था इसलिए मैं उससे ज्यादा बात नहीं कर रहा था। मैंने उससे कुछ भी नहीं कहा और वह मुझसे पूछे जा रही थी, की तुम क्या करते हो, मैंने उसे बताया कि मैं कॉलेज में पढ़ता हूं। उस दिन मेरी सिर्फ उससे इतनी ही बात हुई और उसके बाद वह भी अपने घर चली गई लेकिन जब भी वह मुझे देखती तो हमेशा ही मुझे देख कर मुस्कुराती थी। मैंने आज तक कभी भी ज्यादा किसी से बात नहीं की इसलिए मुझे बहुत ही अनकंफरटेबल सा लगता था। वह मुझे हमेशा ही देखा करती थी। एक दिन मैंने भी उससे उसका नाम पूछ लिया और उसने अपना नाम अर्पिता बताया, मैंने उससे पूछा कि आप क्या करते हैं तो वह कहने लगी कि मैं हॉस्पिटल में नर्स हूं, अभी मेरी पोस्टिंग कुछ समय पहले ही यहां हुई है। उस दिन मैंने और अर्पिता ने अच्छे से बात की। मैंने उससे पूछा कि क्या आपकी शादी हो चुकी है, वह मुझे कहने लगी कि नहीं मेरी शादी अभी नहीं हुई है, मेरे घरवाले मेरे लिए रिश्ता देख रहे हैं परंतु मैं अभी शादी के लिए तैयार नहीं हूं। मैंने अर्पिता से पूछा कि आप कहां की रहने वाली है, वह कहने लगी कि मैं जयपुर की रहने वाली हूं। उस दिन अर्पिता ने मेरा नंबर ले लिया और उसके बाद मैं वहां से अपने कॉलेज चला गया। जब मैं अपने कॉलेज से लौट रहा था तो मुझे अर्पिता ने फोन किया और कहने लगी कि क्या तुम मुझसे मिल सकते हो, मैंने उसे कहा कि कहां पर आपको मिलना है, उसने मुझे अपने हॉस्पिटल के पास एक कैंटीन में बुला लिया। मैं कॉलेज से आते वक्त उसके हॉस्पिटल की कैंटीन में चला गया और कुछ देर उसका वहीं बैठ कर इंतजार करता रहा। जब वह मेरे पास आई तो वह मुझसे पूछने लगी की तुम कितनी देर से मेरा इंतजार कर रहे हो, मैंने उसे बताया कि मुझे कुछ देर हो चुकी है। वह कहने लगी कि मैं थोड़ा बिजी थी इसलिए आने में मुझे लेट हो गई। अब अर्पिता मेरे साथ बैठी हुई थी और हम दोनों बात कर रहे थे। उसने मुझसे पूछा कि तुम्हारा नेचर इतना सिंपल और साधारण क्यो है, मैंने उसे कहा कि मैं पहले से ही ऐसा हूं।

बचपन से ही मेरा कोई भी अच्छा दोस्त नहीं है और ना ही मैं किसी के साथ दोस्ती करना पसंद करता हूं, मैं सिर्फ अपने कमरे में बैठकर वीडियो गेम खेलता रहता हूं। अर्पिता मुझसे पूछने लगी तुमने अभी तक किसी को भी अपना दोस्त नहीं बनाया, मैंने अर्पिता से कहा कि मेरे जितने भी दोस्त हैं वह सब मुझे कम दिमाग वाला कहते हैं और कहते हैं कि तुम्हारे अंदर बिल्कुल भी दिमाग नहीं है, तुम अपने दिमाग का इस्तेमाल ही नहीं करते हो इसीलिए मैं हमेशा से पढ़ने में भी अच्छा नहीं था। मेरे घर वाले भी मुझे हमेशा ताने मारते रहते हैं इसलिए मेरे अंदर का कॉन्फिडेंस पूरा खत्म हो चुका है, मुझे समझ नही आ रहा कि मुझे ऐसा क्या करना चाहिए जिससे मैं अपने अंदर कॉन्फिडेंस ला पाऊं और अपने जीवन में परिवर्तन करू। अर्पिता मुझसे कहने लगी कि जिस प्रकार का तुम्हारा नेचर है उसी प्रकार का नेचर मेरे भाई का भी था परंतु अब वह ठीक हो चुका है और अब वह सब लोगों के साथ अच्छे से रहता है सब लोग भी उसके साथ अच्छे से रहते हैं। अर्पिता ने मुझे कहा कि यदि तुम अपने आप को बदलने की कोशिश करो तो शायद तुम भी अपने आप को बदल पाओगे।

मैंने अर्पिता से पूछा कि क्या आप इसी वजह से मुझे हमेशा देखा करती थी, वह कहने लगी हां मैं इसी वजह से तुम्हें हमेशा देखा करती थी क्योंकि तुम भी बिल्कुल मेरे भाई के जैसे ही हो। वह भी तुम्हारी तरह ही था परंतु अब वह एक अच्छी जॉब पर है और अब वह पूरी तरीके से बदल चुका है। अर्पिता मुझे कहने लगी कुछ दिनों बाद वह यहां आएगा तो तुम भी उसे मिल लेना। उसके बाद मैं वहां से चला गया। कुछ दिन बाद अर्पिता ने मुझे फोन किया और उस दिन उसका भाई भी घर पर आया हुआ था। अर्पिता ने मुझे अपने घर पर बुला लिया और जब मैं उसके भाई से मिला तो उसने भी मुझसे अपनी बातें शेयर की और उसे देख कर मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि शायद मैं भी अपने को बदल सकता हूं। मेरी उससे काफी अच्छी बातचीत हो गई थी लेकिन वह ज्यादा समय अर्पिता के पास नहीं रुका और कुछ दिनों बाद ही वह जयपुर लौट गया। अब अर्पिता और मेरे बीच में अच्छी दोस्ती हो गई थी इसीलिए मैं हमेशा ही उससे मिलता था और वह भी मुझसे फोन पर बात कर लेती थी। मुझे भी उससे बात करना अच्छा लगने लगा था क्योंकि मैंने आज तक कभी भी किसी से इतनी बात नहीं की थी और मैं अब उससे खुलकर अपनी बातें शेयर कर पाता था। वह मेरा पूरा साथ देती थी और मेरे अंदर अब थोड़ा बदलाव आने लगा था, मुझे भी लगने लगा था कि अब मैं पहले से बेहतर महसूस कर रहा हूं। अब मैं सब लोगों के साथ भी बात करने लगा था और सब लोगों के साथ अच्छे से बात किया करता था। एक दिन अर्पिता की छुट्टी थी और उस दिन वह घर पर ही थी। मैं भी उससे मिलने उसके घर पर चला गया और हम दोनों आपस में बैठकर बातें करने लगे। वह मुझे कहने लगी कि तुम बदल चुके हो, अब तुम्हारे अंदर अच्छा कॉन्फिडेंस आ चुका है। मुझे भी यह बात सुनकर अच्छा लग रहा था और मैंने अर्पिता से कहा कि यह सब तुम्हारी वजह से ही संभव हो पाया है यदि तुम मुझे मदद नहीं करती तो शायद मैं भी अपने अंदर कभी भी इतना कॉन्फिडेंस नहीं ला पाता। मुझे अर्पिता से बात कर के बहुत अच्छा लगता था मैं अर्पिता के साथ ही बैठा हुआ था लेकिन अर्पिता ने उस दिन बहुत ही छोटी सी निक्कर पहनी हुई थी जिसमें कि उसकी मुलायम जांघ साफ दिखाई दे रही थी और मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया। मुझे उसे देखकर बिल्कुल भी नहीं रहा गया और मेरे अंदर कॉन्फिडेंस भी बहुत ज्यादा था मैंने उसे कसकर पकड़ लिया। मैने उसके स्तनों को जोर से दबा दिया मैंने उसे पीछे से पकड़ा हुआ था इसलिए उसकी गांड से मेरा लंड रगड़ रहा था और मुझे बहुत अच्छा लगने लगा।

उसे भी कुछ देर बाद मजा आने लगा उसने भी मेरे लंड को निकलती हुए अपने मुंह में समा लिया और उसे सकिंग करने लगी। वह कहने लगी कि तुम्हारा लंड तो बहुत ही मोटा है मुझे चूसने में बहुत मजा आ रहा है। वह मेरे लंड को अपने गले तक ले रही थी और मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा। काफी देर तक उसने ऐसा ही किया उसके बाद मैंने भी उसे बिस्तर पर लेटा दिया और जैसे ही मैंने उसके कपडो को खोला तो उसने पिंक कलर की पैंटी और ब्रा पहना हुआ था। उसमें वह और भी ज्यादा माल लग रही थी उसकी गांड का साइज 38 था और उसके स्तन का 36 था। मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया और काफी देर तक उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसता रहा। उसकी योनि से पानी निकलने लगा और मैंने जैसे ही उसकी योनि पर अपने लंड को लगाया तो उसकी चूत गरम हो रखी थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी योनि में अपने लंड को घुसा दिया जैसे ही मेरा लंड अर्पिता की योनि में घुसा तो वह चिल्लाने लगी। कुछ देर तक उसे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन थोड़ी देर बाद वह भी पूरे मजे में आ गई और अब मैंने उसकी दोनों जांघों को कसकर पकड़ लिया और बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा। मेरा लंड उसकी चूत की गहरइयो मे जाता तो उसे बहुत अच्छा लगता और मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था मैंने काफी देर तक उसे ऐसे ही चोदा। उसके बाद मैंने उसे अपने ऊपर लेटा दिए जैसे ही उसकी योनि में मैने अपने लंड को डाला तो उसे भी मजा आने लगा। वह अपनी चूतडो को उपर नीचे कर रही थी और उसके स्तन मेरे मुंह के अंदर थे। मैं उसे बड़ी तेज झटके मारता जाता वह भी पूरे मूड में आ रही थी लेकिन उसकी योनि इतनी ज्यादा टाइट थी मैं बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाया और जैसे ही मेरा माल अर्पिता की योनि में गया तो मुझे बड़ा मजा आया और हम दोनों ही उसके बाद एक साथ लेटे गए।