बॉयफ्रेंड से मिलने को किया बहाना

मेरा नाम सौम्या है मैं दिल्ली में रहती हूं और मेरी उम्र 22 वर्ष है, मैं कॉलेज में पढ़ाई करने वाली छात्रा हूं, मैंने अपने स्कूल की पढ़ाई दिल्ली से ही की है। मेरे पिताजी को दिल्ली आए हुए काफी वर्ष हो चुके हैं, हमारे सारे रिश्तेदार बेंगलुरु में ही रहते हैं और मेरे पिता जी दिल्ली आ गए थे, दिल्ली में ही उन्होंने अपना कारोबार शुरू कर दिया। मेरे भैया जयपुर में नौकरी करते हैं और मैं उनके पास ही जयपुर गई हुई थी। जब मैं बस से लौट रही थी तो मेरे साथ ही एक लड़का बैठा हुआ था उसका नाम परमजीत है। हम दोनों के बीच काफी बातें हुई और मुझे वह बहुत अच्छा लगा, वह भी मुझसे बात कर के बहुत खुश था। जब उसने बताया कि वह हमारे घर के बगल में ही रहता है तो मैंने उसे कहा कि मैंने तुम्हें आज तक कभी भी वहां नहीं देखा, वह कहने लगा कि मैं अब दिल्ली बहुत कम ही आता हूं क्योंकि मैं अधिकतर जयपुर में ही रहता हूं, मेरा दिल्ली जाना बहुत कम होता है।

हम दोनों के बीच उस दिन बहुत बात हुई, जब हम लोग जल्दी पहुंचे तो हम दोनों एक साथ ही ऑटो में गए क्योंकि हम दोनों के घर आसपास ही हैं। मैंने परमजीत से जितनी बात कि उसी दौरान मुझे उससे लगाऊ सा होने लगा और कुछ दिनों बाद ही परमजीत मुझे दोबारा मिल गया। मैंने उसे पूछा कि क्या तुम जयपुर नहीं गए, वह कहने लगा कि नहीं मैं अभी जयपुर नहीं गया, मैं कुछ समय के लिए घर पर ही हूं क्योंकि मुझे घर पर कुछ जरूरी काम है, उसके बाद ही मैं जयपुर जाऊंगा। मैंने उसे कहा यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुम कुछ दिनों तक घर पर ही हो। परमजीत मुझसे पूछने लगा कि तुम कॉलेज नहीं जाती, मैंने उसे कहा कि आजकल मेरे कॉलेज की छुट्टियां पड़ी हुई है इसलिए मैं कॉलेज नहीं जा रही हूं मैं भी घर पर ही हूं। वह मुझसे पूछने लगा कि तुम्हारा टाइम पास कैसे होता है, मैंने उसे कहा कि मैं घर का कुछ काम कर लेती हूं तो मेरा टाइम पास हो जाता है। मैं परमजीत के इशारे समझ रही थी, मैंने उसे कहा कि तुम सीधा ही क्यों नहीं बोलते कि हम लोग कहीं बाहर चलते हैं।

वह कहने लगा मैं तुमसे यही बात बोलना चाह रहा था लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। मैंने उसे कहा कि मुझे मूवी देखने का बहुत शौक है यदि मैं मूवी की टिकट ले लूं तो क्या तुम मेरे साथ चलोगे, मैंने जब यह बात परमजीत से कहीं तो वह कहने लगा कि ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलूंगा। मैंने अगले दिन मूवी की टिकट ले ली और उस दिन वह मेरे घर के पास आ गया, हम लोग दोनों साथ में ही मूवी देखने गए। हम लोग समय से काफी पहले पहुंच गए थे इसलिए हम लोग मॉल में ही बैठे हुए थे और हम दोनों आपस में बात कर रहे थे। मुझे परमजीत से बात कर के बहुत अच्छा लग रहा था, उसे भी मुझसे बात करना बहुत अच्छा लगता था। मैंने परमजीत से कहा कि मुझे तुमसे बात करना बहुत अच्छा लगता है। हम लोग काफी देर तक एक दूसरे के साथ बैठे हुए थे, उसी दौरान परमजीत ने मेरा हाथ भी पकड़ लिया। जब उसने मेरा हाथ पकड़ा तो मैंने उसे कुछ भी नहीं कहा क्योंकि मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से उसने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था। हम दोनों एक साथ ही मॉल के अंदर चले गए, परमजीत ने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था। जब हम दोनों मूवी देखने के लिए सीट पर बैठे तो हम लोग गलत सीट पर बैठ गए, मूवी शुरू नहीं हुई थी लेकिन तभी एक कपल आया और वह कहने लगे कि यह हमारी सीट है, जब हमने सीट नंबर चेक किया तो हम लोग गलत सीट पर बैठे हुए थे, हम लोग उठकर दूसरी सीट पर चले गए उसके बाद मूवी भी शुरू हो चुकी थी। जब मूवी शुरू हुई तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और परमजीत ने मेरे हाथों को पकड़ा हुआ था, मैंने भी अपने सिर को परमजीत के कंधों पर रख दिया, हम दोनों ही एक साथ मूवी देख रहे थे। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं परमजीत के साथ मूवी देख रही थी। मैंने काफी समय तक उसके साथ समय बिताया और उसके बाद मूवी खत्म हो गई तो हम दोनों मूवी देख कर बाहर आए। मैंने परमजीत से कहा कि मुझे तुम्हारे साथ मूवी देखकर अच्छा लगा, मुझे समय का बिल्कुल भी पता नहीं चला की कब समय बीत गया।

परमजीत कहने लगा कि अब हम लोग घर चलते हैं, उसके बाद हम लोग वहां से घर चले गए। जब हम दोनों ऑटो में बैठे हुए थे तो मैंने परमजीत से अपने दिल की बात कह दी, मैंने उसे कहा कि मुझे तुम बहुत पसंद हो, परमजीत मुझे कहने लगा मुझे भी तुमसे बात कर के बहुत अच्छा लगता है। कुछ दिनों तक परमजीत दिल्ली में ही था और मेरी उससे अच्छी बातचीत होने लगी थी, हम दोनों रिलेशन में भी थे। मैंने एक दिन परमजीत से कहा कि क्या मैं अपने घर में तुम्हारे बारे में बता दूँ, वह कहने लगा कि हां तुम अपने घर में मेरे बारे में बात कर लो यदि वह मंजूरी दे देते हैं तो हम लोग शादी करने का फैसला कर लेंगे। मैंने जब अपने घर पर बात की तो मेरे घरवाले बिल्कुल भी परमजीत को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे, वह कहने लगे कि हम लोगों की अलग संस्कृति है और परमजीत एक पंजाबी परिवार से आता है इसीलिए हम उससे तुम्हारा रिश्ता नहीं करवा सकते। मेरे घर वाले बहुत ही गुस्सा थे और वह कहने लगे कि आगे से तुम कभी भी इस प्रकार की बात हमसे बिल्कुल भी मत करना, ना ही तुम हम लोगों से इस प्रकार की उम्मीद करना। मैंने कहा ठीक है मैं आपसे कभी भी इस प्रकार की बात नहीं करूंगी और ना ही कभी परमजीत का जिक्र आपसे करूंगी।

मैंने जब परमजीत को इसके बारे में बताया तो वह कहने लगा कोई बात नहीं, हम लोग तुम्हारे घरवालों को मना लेंगे, तुम उसकी बिल्कुल चिंता मत करो। अब हम दोनों चुपके से मिलते थे, उसके कुछ दिनों बाद परमजीत जयपुर चला गया। मुझे भी परमजीत की बहुत याद आ रही थी, मैंने उसे फोन करके कहा कि मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है और तुमसे मिलने का भी बहुत मन हो रहा है। वह कहने लगा कि तुम जयपुर आ जाओ, तुम्हारे भैया भी तो यही जयपुर में रहते हैं, मैंने उससे कहा कि मैं अपने घर में इस बारे में बात करती हूं और उसके बाद ही मैं जयपुर आ पाऊंगी, परमजीत ने कहा ठीक है तुम अपने घर में इस बारे में बात कर लेना यदि तुम्हारे घरवाले मान जाते हैं तो तुम मेरे पास जयपुर आ जाना। मैंने जब अपने घर पर बात की तो मेरे घर वालों ने कहा कि ठीक है तुम कुछ दिनों के लिए जयपुर चले जाओ। जब मैं जयपुर गई तो मैं परमजीत में मिली, मैं परमजीत से मिलके बहुत खुश हुई, मैंने उसे अपने गले लगा लिया, वह भी मुझसे मिलकर बहुत खुश हुआ। मैंने परमजीत के होठों पर किस कर लिया और उसके होठो को मैं चूमने लगी। मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं गया वह कहने लगा कि तुम यहा किस कर रही हो हम लोग घर चलते हैं। वह मुझे अपने साथ ले गया जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो वह मेरे होठों को किस कर रहा था और मुझे भी बहुत अच्छा महसूस होने लगा। वह मेरे होठों को बड़े अच्छे से किस करने लगा और काफी देर तक उसने मेरे होठों का रसपान किया जब उसने मुझे नंगा किया तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस हुआ और जैसे ही उसने अपने हाथों को मेरी योनि पर टच किया तो मैं मचलने लगी। मैंने उससे कहा कि मैंने आज तक कभी भी सेक्स नहीं किया है मुझे बहुत डर लग रहा है। उसने अपने लंड को बाहर निकाला और कहने लगा तुम इसे अपने मुंह में लेकर देखो तुम्हें बहुत अच्छा महसूस होगा। मैंने जब उसके मोटे लंड को अपने मुंह में लिया तो मुझे वाकई में अच्छा महसूस होने लगा और मैं उसके लंड को अपने गले तक लेने लगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं उसके लंड को अपने गले तक ले रही थी। काफी देर तक मैंने ऐसा ही किया उसके बाद उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया।

जब उसने मेरे दोनों पैरों को खोलो तो मेरी योनि पर अपनी जीभ को लगाया तो मुझे बहुत अच्छा लगा उसने अपनी उंगली से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया और मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। परमजीत ने मेरी चूत पर अपने लंड को टच किया तो मुझे बहुत घबराहट महसूस होने लगी। मैंने उसे कहा कि तुम धीरे से अपने लंड को मेरी योनि के अंदर डालना। वह मुझे कहने लगा कि तुम्हें सिर्फ शुरू में दर्द होगा उसके बाद तुम्हें बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा उसने जैसे ही मेरी योनि पर अपने लंड को डाला तो मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था और मेरी योनि से खून निकलने लगा। मैंने उसे कहा कि मुझे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है। वह कहने लगा कि मैं तुम्हें ऐसे ही धक्के मारता रहूगा तो तुम्हें बहुत मजा आएगा। उसने मेरे दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और अपने लंड को मेरी योनि की गहराई के अंदर तक डालने लगा। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा जब वह मुझे झटके मार रहा था। वह कहने लगा कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है जब मैं तुम्हें चोद रहा हूं। कुछ देर बाद उसने मेरे दोनों पैरों को मिला लिया वह मेरी चूत के अंदर तक झटके देने लगा जब उसका लंड मेरी चूतडो से टकराता तो मुझे बहुत अच्छा लगता और काफी देर तक उसने मुझे ऐसे ही चोदा लेकिन जब हम दोनों के शरीर से गर्मी निकलने लगी तो हम दोनों ही एक दूसरे को झेल नहीं पाए और परमजीत ने अपने लंड को बाहर निकालते हुए मेरे स्तनों के ऊपर अपना माल गिरा दिया। मैंने भी उसके लंड को अपने मुंह में कुछ देर तक ले कर रखा हम दोनों ने उस दिन रात भर बहुत चोदम पट्टी की मुझे बहुत अच्छा लगा जिस प्रकार से परमजीत ने मुझे चोदा।