Facebook Friend Ki Chodi Fuddi

इतने में वो बोली,” अब और न तड़पाओ राजा, बस जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो, कई महीनो से चुदासी हूँ। आपका ये अहसान ज़िन्दगी भर नही भूलूंगी। मेरी प्यासी चूत को अपने लण्ड के पानी से सींच दो। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

मैंने उसकी टांगो को अपने कन्धो पर रखा और ढेर सारा थूक अपने लण्ड पे लगाकर, उसकी चूत के मुह पे सेट करके जैसे ही हल्का सा झटका दिया। तो उसकी एक घुटी सी चीख निकल गयी। मैंने उसके शांत होने का इंतज़ार किया और दुबारा फिर एक झटका दिया तो इस बार 7’3” का लण्ड जड़ तक उसकी कसी हुई चूत में समा गया और फेर धीरे धीरे हिलने लगा। वो भी निचे से हिलकर मेरा पूरा साथ दे रही थी।

करीब 10 मिनट की इस जंग में हम इकठे ही शहीद हो गए और काफी समय तक एक दूसरे को बाँहो में लिए पसीने से भीगे लेटे बाते करते रहे। लेटे लेटे उसकी नज़र दीवार घड़ी पे पड़ी और जल्दबाज़ी में उठकर बोली,” जल्दी उठो रोहित के आने का समय हो गया है। हम दोनों ने उठकर कपड़े पहने । इतने में डोर बेल बजी। अमृता भागकर दरवाजे की तरफ गयी। दरवाजा खोलकर देखा तो सामने स्कूल वैन का चालक रोहित की ऊँगली पकड़े उसे छोड़ने आया था।

वो रोहित को दरवाजे पे ही छोड़कर चला गया। अंदर आकर अमृता ने दरवाजा बन्द कर दिया और मेरे पास आकर बोली, बेटा ये अंकल है तुम्हारे लिये ढेर सारी चॉकलेट्स और टाफियां लेकर आये है। तुम कपड़े बदल लो बाद में अंकल से टाफियां ले लेना। स्कूल से आते ही वो नहाकर सो गया। उसके बाद मैंने उस से जाने की इज़ाज़त मांगी।

वो बोली,” कमाल करते हो आप भी अभी आपको आये हुए आधा दिन भी नही हुआ और भागने की तयारी भी कर ली आपने।

मैं — नही ऐसी बात नही है, लेकिन शाम हो गयी है। मेरे घर वाले मेरी राह देख रहे होंगे। मैं उन्हें शाम तक वापिस आ जाने का बोलकर आया था।

वो — मुझे नही पता आज तुम्हे नही जाने दूंगी। कल चाहे चले जाना। अभी तक तो मेरे दिल के अरमान भी पूरे नही हुए है। उसकी ज़िद के आगे मुझे झुकना पडा। मैंने अपने मोबाइल से अपने घर पे फोन करके बोल दिया के रात होने की वजह से लेट हो जाऊंगा। सो मेरे दोस्त मुझे एक रात रुकने का बोल रहे है। कल दोपहर तक घर वापिस आ जाउगा।

मेरे फोन काटते ही उसने मुझे ख़ुशी से हग किया और मेरी गालो पे ढेर सारो पप्पियाँ ले ली। थोड़ी देर बाद रात हो गयी। हमने सबने इकठे खाया थोड़ी देर रोहित के साथ खेले।

जब 9 बज गए तो रोहित सो गया। उसकी माँ ने उसे बेड पे सुला दिया और मेरे पास सोफे पे आकर बैठ गयी। थोड़ी देर हम ऐसे ही बाते करते रहे। फेर हम दोनों अलग पास वाले कमरे में चले गए और अपना दोपहर वाला कामुक खेल शुरू कर दिया। उस रात मैंने अमृता को 3 बार चोदा। जिसकी संतुस्टी के भाव उसके चेहरे पे साफ साफ झलक रहे थे। बाद में वो उठकर अपने बेटे के पास चली गयी।

अगले दिन सुबह साढ़े 6 बजे अमृता ने मुझे जगाया और चाय पीने को दी। मैंने उठकर उसे अपनी बाँहो में लिया वो बोली सब्र करो जी, पहले चाय तो पीलो, चाय पीकर मैं फ्रेश होने चला गया। मेरे वापिस आने से पहले उसने अपने बेटे को उठाकर स्कूल के लिए तैयार कर दिया। हमने इकठे ही नाश्ता किया थोड़ी देर बच्चे के साथ मौज़ मस्ती की । इतने में उसकी स्कूल वैन उसे लेने दरवाजे पे आ गयी। अमृता ने उसे वैन में बिठाया और अंदर आकर दरवाजा बन्द कर लिया।

मैंने पूछा अब सुबह हो गयी है नाश्ता भी हो गया है अब तो इज़ाज़त है क्या ?
वो मेरे तरफ गुस्से की नज़र से देखने लगी और बोली, आपसे आराम से बैठा भी नही जाता क्या कल के लगे हो जाऊ क्या जाऊ क्या ?

अभी 9 बजे से पहले कोई ट्रेन नही आएगी आपके एरिया की तरफ जाने वाली,

सो आराम से बैठो और जवानी का मज़ा लो। इतना कहकर वो मेरी झोली में आकर बैठ गयी और कामुक हरकते करने लगी जिस से सोये हुए लण्ड महाराज ने अंगड़ाई ली और वो निचे बैठकर ज़िप खोलकर लण्ड को मुह में लेकर आगे पीछे करने लगी। इस बार मैं मज़े में इतना खो गया के मुझे पता ही नही चला के कब मेरा रस्खलित हो गया और पुरा वीर्य उसके मुह में चला गया। जिसे वो गटागट पी गयी और हसकर बोली, क्यों मज़ा आया सावन बाबू ।

मैं — हांजी बहुत ज्यादा मज़ा आया।

वो — अभी 2-3 दिन और रहो ऐसा मज़ा बार बार आएगा।

मैं — कोई बात नही, जब कभी फेर टाइम मिला फेर आ जायेंगे।