जेठ के बड़े लन्ड बुझी मेरे चूत की प्यास

जेठ जी को अब पता चल चुका था कि मैं चुदासी हूँ और अब गर्म हो रही हूँ. फिर उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच कर उसे उतार दिया. फिर उन्होंने मेरा ब्लाउज भी उतार दिया और मेरे मम्मों को जोर – जोर से ब्रा के उपर से ही मसलने लगे…

मेरा नाम अंकिता है और मेरे पति मुंबई में मार्केटिंग का काम करते हैं. उनका नाम रमेश है. जब वो घर आते हैं तब हम जम कर चुदाई करते हैं. अभी हाल ही में मेरे पति छुट्टी पर घर आ कर और मेरी जोरदार चुदाई करके वापस मुंबई गये हैं.

हमारे घर में मेरी सास – ससुर, जेठ – जेठानी और उनका एक बच्चा, हम सब रहते हैं. मेरी जेठानी को दूसरा बच्चा होने वाला था इसलिए वो अपने पीहर गयी हुई थी. एक दिन मैंने महसूस किया कि आजकल मुझ पर अपनी आँखें गड़ाये हुए हैं.

फिर एक दिन मैं जेठ जी को चाय देने उनके कमरे में गयी तो मैं आश्चर्यचकित रह गयी. मैंने देखा कि जेठ जी सो रहे थे और उनका लन्ड खड़ा था. उनका खड़ा लंड देख कर मेरी चूत गीली होने लगी और मेरी सांसें तेज चलने लगी. फिर मैंने चाय को टेबल पर रखा और बाहर आ गयी.

इतना बड़ा लंड देख कर मैं चुदासी हो गयी थी. फिर मैंने बाथरूम में जाकर अपनी चूत को रगड़ा और पानी निकाल शांत हो गई. अब मैं भी जेठ जी को नोटिस करने लगी. वो भी मुझे घूर कर ही देखते थे. यह देख कर मुझे पता लग गया था कि वो क्या चाहते हैं.

उसके 3-4 दिन बाद रात के करीब 1 बजे सभी सो रहे थे. उस समय मैं भी नींद में थी. तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे चूतड़ पर हाथ फिरा रहा है. मुझे यकीन था कि जरूर ही ये जेठ जी हैं. वो भी बिना कुछ बोले ये सब कर रहे थे. और मैं भी चुपचाप लेटी हुई थी. मुझे पता था कि जेठ जी क्या करने वाले हैं. मेरी चुदाई की प्यास भी अब बढ़ चुकी थी.

फिर जेठ जी धीरे – धीरे करके मेरी पैंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगे और फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी पैंटी को उतार कर अलग कर दिया. फिर जैसे ही उन्होंने मेरी चूत पर हाथ रखा और उसे मसलने लगे वैसे ही मेरी चूत में तेज खुजली होने लगी और अब मेरी चूत गीली भी होने लगी.

जेठ जी को अब पता चल चुका था कि मैं चुदासी हूँ और अब गर्म हो रही हूँ. फिर उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच कर उसे उतार दिया. फिर उन्होंने मेरा ब्लाउज भी उतार दिया और मेरे मम्मों को जोर – जोर से ब्रा के उपर से ही मसलने लगे.

अब मेरी सांसें और तेज हो गयी तो मैंने अपनी ब्रा का हुक खोल दिया. अब जेठ जी ब्रा को मेरे मम्मों पर से हटा कर उनको मसलने लगे. उनले मसलने से मेरे मम्मे टाइट होने लगे. तभी जेठ जी ने मेरे कान में कहा, “क्या रसीले आम हैं तुम्हारे! रस पीने दो न इनका”.

फिर इतना कहा कर मेरे जवाब का इंतजार किये बिना ही उन्होंने मेरे मम्मों पर अपने होंठ लगा दिया और जोर – जोर से चूसने लगे और साथ ही एक हाथ से मेरी चूत भी मसलने लगे. अब मैं उत्तेजित होकर आगे – पीछे होने लगी. फिर उन्होंने मेरे चूतड़ों को दबोच लिया और बोले, ” वाह, क्या गोल – गोल चूतड़ हैं तुम्हारे. इनकी चुदाई में बहुत मजा आएगा.” और फिर मेरे चूतड़ों को मसलने लगे.

अब मैं बहुत चुदासी हो चुकी थी और मुझे लंड लेने की जल्दी होने लगी. फिर मैंने अपना हाथ जेठ जी के लंड पर रखा तो मैं सन्न सी रह गयी. उनका सोया हुआ लंड भी करीब 5 इंच लंबा था. यह देख कर मेरी चूत में चीटियाँ रेंगने लगी. अब मैं उनके लंड को जोर – जोर से हिलाने लगी. जिससे उनका लंड मोटा और लम्बा होने लगा. अब मेरी चूत और ज्यादा गीली होने लगी.

फिर मैंने उनके लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया. ऐसे मस्त लंड चूस कर मजा आ गया. फिर लन्ड के गीला होने पर मैं फिर से हिलाने लगी. तभी लंड में जैसे बिजली का करंट दौड़ गया हो और वो लगभग 9 इंच लंबा हो गया.

तभी जेठ जी बोले, “इस टाईट चूत को चोद कर आज तो बहुत मज़ा आएगा.” मैं तो उस समय मदहोस सी हो गयी थी. जेठ जी की आवाज पर मैंने ध्यान नहीं दिया. अब जेठ जी ने मेरी चूत में अपनी एक उंगली डाल कर अंदर – बाहर करने लगे. थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मेरी चूत लंड पाने के लिए तड़प सी उठी थी.

अब जेठ जी मेरी टांगों के बीच में आ गए और फिर मैंने उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और फिर मैं जेठ जी के लम्बे लंड को मसलने लगी. लंड की मोटाई मेरी मुट्ठी में नहीं आ रही थी. ये सोच कर कि मेरी चूत आज जरूर चौड़ी हो जायेगी, मैं काफी उत्तेजित थी. जेठजी ने मेरे चेहरे को देख कर भाँप लिया और बोले अंकिता, “आज तेरी चूत को बहुत मजा आने वाला है”.

यह सुन कर मैं बोली, “अब डाल भी दो, क्यों तड़पा रहे हो.” फिर जेठ जी ने कंडोम निकाला और अपने लंड पर चढ़ा लिया. फिर जेठ जी ने अपना लंड को मेरी चूत के मुंह पर रखा और धीरे से लन्ड का सूपड़ा अंदर कर दिया. फक्क की आवाज के साथ लंड मेरी चूत में चला गया.

फिर उन्होंने एक धक्का मारा और लंड करीब 3 इंच अंदर चला गया. मुझे दर्द होने लगा. मेरी तो जान ही निकल गयी थी. लेकिन मुझे पता था कि 5 मिनट बाद बहुत मजा आने वाला है इसलिए मैंने दर्द को सह लिया. जेठ जी चुदाई के पक्के खिलाडी थे. अब वो धीरे – धीरे लंड को अंदर – बाहर करने लगे और पूरा लंड अंदर नहीं डाला.

फिर कुछ देर ऐसा करने के बाद उन्होंने एक तकिया मेरी गांड के नीचे रख दिया. जिससे मेरी चूत ऊपर उठ गई और चूत का छेद थोड़ा सा खुल गया. फिर जेठ जी ने लंड को चूत पर रखा और एक झटके में पूरा लन्ड मेरी चूत के अन्दर के आखिरी हिस्से पर जा टकराया.

मेरी चूत उनके मोटे लंड से भर गयी थी और मैं उत्तेजना में भर कर उनके सीने से चिपक गई थी. इस उत्तेजना की वजह से मेरे मुँह से “ओह्ह्ह्… हाय्…अब मजा मिला है” निकल पड़ा. फिर उन्होंने मेरी दोनों टागों को पकड़ कर चौड़ा किया और तेजी से चोदने लगे.

अब पूरे कमरे में फच्च – फच्च की आवाजें गूंजने लगी. अब मेरी कामोत्तेजना इतनी तीव्र हो गयी थी कि इस उत्तेजना वश मेरा सारा शरीर तपने लगा था. मैंने अपनी दोनों आँखें बन्द कर रखी थी और मेरा शरीर मछली की तरह तड़प रहा था. मुझे कुछ होश नहीं था. अब लंड मेरी चूत में फिट हो गया था और मुझे बहुत मजा दे रहा था.

जैसे ही जेठ जी का लन्ड मेरी चूत में जाता मैं अपनी कमर उठा कर लन्ड को चूत के अन्दर तक ले लेती और लन्ड के हर धक्के का जबाव मैं अपने चूतड़ उठा – उठा कर दे रही थी. पूरा कमरा मेरे मुंह से निकल रही उत्तेजना भरी आवाजों से गूंज रहा था.

अब जेठ जी मुझसे बोले, “अरे, इस मोटी गांड के भी तो मजे लेने दो”. फिर इतना बोल कर उन्होंने मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड डाल कर तेजी से झटके देने लगे. अब मैं भी गांड आगे – पीछे करके लंड के मजे लेने लगी.

इस तरह जेठ जी अलग – अलग पोजीशन में मुझे चोदने लगे. अभी भी जेठ जी लगातार मुझे तेजी से चोदे ही जा रहे थे और करीब 35 मिनट तक चोदने के बाद जेठजी ने तेजी से झटके दिए और पूरा माल कंडोम में निकाल दिया. थोड़ी देर बाद फिर से जेठ जी का लंड खड़ा होने लगा और मेरी चूत में फिर से खुजली होने लगी. इस तरह पूरी रात में मेरी चार बार चुदाई हुई.