मामा की लड़की और मेरा प्रेम प्रसंग

मैं भूल गया था की वो मेरी मामा की लड़की है| बस याद था तो ख़ुशी के होठ| अभी भी मैं वो स्पर्श महसूस कर सकता हूँ| मैं धीरे- धीरे गर्म होने लगा था| दीदी अब किस मेरे होठों के बहुत करीब कर रही थी| जो मुझे और उत्तेजित कर रहा था.

दोस्तों मेरा नाम कबीर है| मैं जयपुर के पास एक गाँव का रहने वाला हूँ|अभी मेरी उम्र 22 वर्ष है| जब मैं 18 साल का था, तब कॉलेज की पढाई के लिए मुझे शहर जाना था| पापा और मैं, दोनों शहर गये| सबसे पहले कॉलेज मे जा कर मेरा दाखिला करवाया|

कॉलेज शहर से थोडा बाहर था| वहीँ पास में एक हॉस्टल था| पापा और मैं वहा गए और हॉस्टल के वार्डन से बात की| पापा ने मुझे वही छोड़ दिया और फीस जमा करवा कर और कुछ सामान दिला कर पापा गाँव जाने के लिए कहने लगे| मैं उदास हो गया| शहर में मैं किसी को जानता नहीं था| वेसे शहर मे मेरे रिश्तेदार रहते थे पर पापा नही चाहते थे की मैं वहा जाऊं| इसलिए हॉस्टल में ही रखा| पापा ने मुझे कुछ रुपये दिए और चले गए|

मैं बहुत उदास था| वार्डन ने मुझे मेरा कमरा दिखाया तो मैं अपना जो भी सामान लाया था वो वहाँ रख कर सो गया| शाम को जब नाश्ते का टाइम हुआ तो एक लड़का मुझे जगाने आया| नया सेसन चालू हुआ था तो अभी बहुत से लड़के आये नही थे| हम 8-10 लोग ही थे| नाश्ते के दौरान उन सब से जान-पहचान हुई| वो सब लोग भी मेरी तरह पहली बार घर छोड़ कर आये थे| उनसे बात होने क बाद थोड़ा अच्छा लगा| सबने बाहर घूमने जाने का प्लान बनाया, जिससे सब का मन शहर मे लग जाये| मैं भी तैयार हो गया| हम सब लोग घूमने गए और रात को 10 बजे आये| वार्डन हॉस्टल मैं नही था, इसलिए कोई प्रॉब्लम नही हुई| फिर ऐसे ही 1-2 महीने निकल गए|

अब सब अच्छा लगने लगा था| घर की याद भी कम सताती थी| लेकिन घर तो घर है| बहुत समय हो गया था घर वालो से मिले हुए, इसलिए घर जाने का मन था| फिर जब कुछ दिन के लिए कॉलेज की छुट्टी हुई तो सब लड़के घर जाने के लिए तैयारी करने लगे| मैने भी अपने कपड़े पैक किये, और गाँव आ गया| घर आकर अच्छा लग रहा था| माँ भी खुश हुई| एक हफ्ता कैसे निकला पता ही नहीं चला| वापस हॉस्टल जाने का टाइम हो गया|

तैयार हो कर मैं बस स्टैण्ड आया| बस की टिकट लेकर बस में चढ़ा ही था की मैने एक लड़की को देखा| वो मेरे मामा की लड़की ख़ुशी थी| वो बहुत ही खूबसूरत है, उसने पटियाला सूट पहना था| वो भी मुझे देखकर खुश हुई| वो मुझसे 4 साल बड़ी थी| मैं भी उन्हें देख कर खुश हुआ| हम दोनों ने एक दूओसरे को हेलो बोला| उनके बगल वाली सीट खाली न होने की वजह से मुझे पीछे एक अंकल के बगल में बैठना पड़ा|

लेकिन अगले स्टॉपेज पे जब वो अंकल नीचे उतर गए तो मीने ख़ुशी दीदी को अपने पास बैठने के लिए बुला लिया| फिर हम दोनों इधर- उधर की बातें करने लगे| बातों-बातों में ही पता चला की वो भी शहर में ही रहकर पढाई कर रही हैं और वह कमरा किराए पे लेकर रहती हैं| हमने एक दुसरे का मोबाइल नम्बर ले लिया| इस तरह बातें करते- करते हम शहर पहुँच गए| वो उनके कमरे पर चली गयी और मैं अपने हॉस्टल आ गया|

दीदी का कमरा हॉस्टल से दूर था| फिर एक दिन मैंने दीदी को कॉल किया उनका हाल-चाल पूछने के लिए| फिर तो ये रोजाना का सिलसिला बन गया| धीरे- धीरे हम दोस्त जैसे हो गये| कोई भी बात हो, तो बता देते थे| एक दिन मैंने उनसे पूछ ही लिया- आप का कोई बॉय फ्रेंड है?

तो उन्होंने जरा भी गुस्सा नही किया और कहा- नहीं! कोई बॉयफ्रेंड नही है|

तब तक मेरे मन में दीदी के लिए कुछ नहीं था| लेकिन जैसे-जैसे बातें करते रहे, वैसे-वैसे मुझे ख़ुशी अच्छी लगने लगी थी| इस तरह समय निकल रहा था की एक दिन इण्डिया का क्रिकेट मैच चल रहा था और उसी दौरान हम बातें कर रहे थे| बातों के दौरान ही हममे मैच को लेकर बहस होने लगी| मैं कह रहा था कि इण्डिया जीतेगी औउर वो कह रहीं थी की हार जाएगी| फिर मैने कहा की चलो शर्त लगी अगर इंडिया हार गया तो आप जो कहेंगी मैं करूँगा, और अगर इंडिया जीत गया तो जो मैं कहूँगा वो आपको करना पड़ेगा| आखिरकार इंडिया जीत गया और साथ ही साथ मैं भी| फिर बात आई गयी हो गयी और मैं शर्त को भूल गया| लेकिन दोस्तों इस शर्त की वजह से मुझे ख़ुशी का प्यार मिला|

हुआ ये की एक रविवार की शाम उन्होंने कॉल किया और मुझसे मेरी लोकेशन पूछी| मैं उस वक़्त मॉल में घूम रहा था| ऊन्होने कहा- मैंने आज स्पेशल खाना बनाया है| जल्दी से घर आ जाओ तो साथ में खाना खायेंगे और गप्पें भी लड़ायेंगे|

मैं भी उनसे मिलने को बेकरार था| उन्होंने मुझे घर का पता मैसेज किया| उस पते तक मुझे मेरे एक मित्र ने बाइक से ड्राप कर दिया| वो बहार ही खड़ी थीं| वो मुझे कमरे में ले गयीं| कमरे में ज्यादा सामान तो नहीं था लेकिन जो भी था, सलीके से रखा हुआ था|

उन्होंने कहा- जल्दी से फ्रेश हो लो फिर मैं खाना लगाती हूँ|

मैं फ्रेश होकर आया तो खाना लगा हुआ था| हमने साथ में खाना खाया| खाना वाकई बढ़िया बना था| और उनसे बातें करते हुए खाने से खाने का स्वाद दुगुना हो गया| खाना खाते और बातें करते रात के 10 बज गए| मैंने देखा कमरे में एक ही बेड है तो मैंने दीदी से कहा- मैं हॉस्टल चलता हूँ|

उन्होंने कहा- इतनी रात में कहाँ जाओगे? आज यहीं सो जाओ| कल सुबह चले जाना|

मैं आंतरिक प्रसन्नता से बात मान गया| और वहीँ बैठ गया| दीदी कपड़े बदलने चली गयीं| वापिस आयीं तो एक कैप्री और ढीली टी शर्ट पहनी हुयी थी| बाल खुले हुए थे और वो काफी सेक्सी लग रहीं थीं| शायद वो मेरा घूरना भाँप गयीं और टोका- क्या देख रहे हो?

मैं हडबडाया ललेकिन चूँकि अब तक हम दोस्त की तरह हो चुके थे इसलिए बोल दिया- दीदी! आप बहुत सेक्सी लग रहीं है|

उन्होंने भी इतराते हुए कहा- थैंक्स!!!

और हँस पड़ी| मैं सोच रहा था की ख़ुशी दीदी को कह दूं की “आप मुझे पसंद हो!” पर हिम्मत नहीं हुई| फिर हम दोनों में बहस होने लगी की बेड पे कौन सोयेगा? मैं उन्हें सुलाना चाहता था और खुद नीचे सोने के लिए कह रहा था जबकि वो इसका उल्टा| अंततः हम दोनों ने एक साथ एक ही बेड पे सोने का निर्णय लिया| इस बहस से मुझे उस शर्त वाली बहस की याद आ गयी| मैंने उन्हें कहा- दीदी! याद है वो शर्त जो हमारे बीच लगी थी| और आप हार गयीं थी|

ख़ुशी- हाँ याद है! बोलो क्या चाहिए तुम्हें?

मैं इस प्रश्न के लिए तैयार नहीं था| हलके से बुदबुदाया “मन तो कर रहा है की 100 किस मांग लूँ|”

लेकिन उन्होंने सुन लिया और कहा- क्या कहा? किस करने को बोल रहे हो न?

मैंने सोचा नहीं था की वो सुन लेंगी| मैं डर गया| मैं मुँह दूसरी तरफ करके सो गया| मन मे यही चल रहा था की दीदी क्या सोच रही होंगी|

थोड़ी देर बाद दीदी ने मुझे आवाज दी- क्रिशु!

दी प्यार से मुझे क्रिशु कहती है| मैं कुछ नहीं बोला तो उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा चेहरा उनकी तरफ किया| अँधेरे मे कुछ नजर नही आ रहा था|

दीदी ने मेरे कान के पास आकर धीरे से कहा- क्रिशु! अब शर्त तो पूरी करनी पड़ेगी न| लेकिन मैं सिर्फ गाल पे किस दूँगी|

मुझे तो सुन कर यकीन ही नहीं हुआ कि दीदी किस के लिए तैयार है| मेने अभी भी कोई हरकत नही की| ख़ुशी दीदी मेरे बिलकुल करीब आ गयीं| वो मुझसे बिलकुल चिपकी हुयी थीं| उनकी साँसे मैं महसूस कर रहा था| मेरे दिल की धड़कने भी तेज हो रही थी| ख़ुशी मेरे गाल की तरफ बढ़ी और धीईईरे…. से मेरे गालों को अपने कोमल होठों से छुआ| मेरे शरीर मे करंट दोडने लगा|

अब दीदी ने मेरे चेहरे को उनके हाथों मे लिया और धीरे- धीरे किस करने लगी गाल पे| मैं भूल गया था की वो मेरी मामा की लड़की है| बस याद था तो ख़ुशी के होठ| अभी भी मैं वो स्पर्श महसूस कर सकता हूँ| मैं धीरे- धीरे गर्म होने लगा था| दीदी अब किस मेरे होठों के बहुत करीब कर रही थी| जो मुझे और उत्तेजित कर रहा था| दीदी की साँसे मुझसे टकरा रही थी| अचानक दीदी ने मुझे मेरे होठो पे किस किया| आह्ह्हह्ह ……हाआय्य्य्य मेने भी अपने होठ चलाना शुरू किया| ख़ुशी का कोई विरोध नहीं था|

मैंने अपना हाथ ख़ुशी की कमर पे रखा और अपनी और खींचने लगा| ख़ुशी भी उत्तेजित हो गयी थी| हम दोनों अपना होश खो चुके थे, बस याद था तो सिर्फ वो स्पर्श| गर्मी बढ़ने लगी थी| मैंने हाथ के इशारे से ख़ुशी को रोका, तो वो रुक गयी| फिर मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े निकाल दिए| ख़ुशी से कहा तो ख़ुशी ने कहा- तुम ही निकाल दो न क्रिशु!!

मैंने ख़ुशी के सारे कपड़े उतार दिए| फिर वापस मैंने ख़ुशी के होठों को चूमना चालू कर दिया| दो नंगे जिस्म अब एकाकार होने को थे| सिर्फ एक कमी थी जिसका संकेत मेरा लंड दे रहा था| अब तक बिलकुल कठोर हो चुका था| मैं उठकर बैठ गया और ख़ुशी को अपनी जांघों पे बिठा लिया| अब मैं ख़ुशी के मांसल बूब्स को पीने लगा| नीचे उसकी चूत से रस टपकना शुरू हो चुका था| ख़ुशी के मुँह से सिसकारियाँ तेज हो रहीं थी|

लेकिन अचानक वो मेरे पैरों से नीचे उतर गयीं और बोलीं- नहीं क्रिशु! आज नहीं|

मैंने कहा –क्यों?

उन्होंने कहा- बस कोई सवाल मत करो| लेकिन आज नहीं|

मैं- ठीक है! मैं फ़ोर्स नहीं करूंगा| मैं आपसे प्रेम करता हूँ| आपकी इच्छा का सम्मान करूंगा|

इतना सुनना था कि वो मुझसे फिर से लिपट गयीं, और मुझे बेतहाशा चूमने लगीं| मैं मदहोश हुआ जा रहा था| फिर उन्होंने मेरा लंड पकड़ के अपपनी चूत में घुसाने लगीं| लेकिनसफल नहीं हुयीं| मैं समझ गया की बिना चुदाई के आज तो आग बुझने से रही| बिना कुछ कहे मैंने उन्हें बेड पे ही लिटा दिया| उनकी टांगों को खोल कर उनकी चूत चुसाई करने लगा|

अब दोनों इस अवस्था में पहुँच चुके थे कि मेरे लिंग का प्रवेश उनकी चूत में जरूरी हो गया था| मैंने लंड को उनकी चूत पे सेट किया जो अपने कामरज के प्रभाव से काफी चिकनी हो चुकी थी| मैंने एक ही धक्के में अपने लंड को उनकी चूत में प्रविष्ट करा दिया| वो दहल उठीं| बड़ी मुश्किल से उन्होंने अपनी चीख को काबू में किया, और मुझे दोनों हाथों से पीछे धक्का देने का प्रयास करने लगीं|

लेकिन मैंने उनको चूमना शुरू कर दिया| कुछ देर में जब उनके चेहरे से दर्द के भाव चले गए तो मैंने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी और हलके धक्कों से उनको आनंदित करने लगा| कुछ ही देर में हम आनंद के शिखर पे थे| लंड और चूत की चुदाई से निकलती फच-फच की आवाज पूरे कमरे को गुंजायमान कर रही थी| फिर हम दोनों साथ में ही झड़ गए|

ये हम दोनों के लिए ही चुदाई का पहला अवसर था| जब तूफ़ान शान्त हुआ तो हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे| तब ख़ुशी ने कहा – क्रीशु मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ| मैं तुम्हें कबसे कहना चाहती थी, पर रिश्ते की वजह से डरती थी| मैने कभी नहीं सोचा था कि हम दोनों हमबिस्तर होंगे|

ऐसा बोल के ख़ुशी ने एक किस होठों पे किया| तो दोस्तों! ये थी मेरी और ख़ुशी की कहानी जो अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है| पसंद आये तो मुझे मेल जरुर करना|