प्रीती की पैन्टी और मैं

जवानी की दहलीज पे पहुँचने के बाद मेरी खुशकिस्मती खुद मेरे घर आयी. शुरुवाती तकरार के बाद जल्द ही हमारे जिस्म एक दूसरे से टकराने लगे या यूँ कहें समाने लगे. हम दोनों के रिश्तों की गर्माहट हमारा बिस्तर भी महसूस कर रहा था……एक प्यारी सी चुदाई कहानी……

हाय दोस्तों! मेरा नाम राहुल है और मैं यू पी से हूँ. मेरे घर में मेरा एक अलग कमरा है, जो कि पहली मंजिल पे है. 12वीं की परीक्षा के बाद जब मैं आगे की पढाई के लिए दुसरे शहर में गया तो मेरे घर वालों ने मेरा कमरा किसी लड़की को किराये पे दे दिया.

छुट्टियों में जब मैं घर आया तो अपनी उस किरायेदार को देखता ही रह गया. वो देखने में साँवली परन्तु सेक्सी थी. उसका फिगर 34-26-34 था. उनसे बात करने पे पता चला कि वो एक स्कूल टीचर हैं. छुट्टियाँ खत्म होने के बाद मैं वापिस चला गया.

अपनी परीक्षाओं के बाद मैं जब वापिस घर आया तो उनसे अच्छे से बात होने लगी. मैं उनको प्रीती दीदी कह कर बुलाता था. वो सुबह जातीं और शाम को आती थीं. एक दिन दोपहर में जब वो स्कूल गयी हुयी थीं और मेरे घर पे भी कोई नहीं था तो मैं उनके कमरे में गया. दरवाजा लॉक नहीं था, तो मैं आसानी से अन्दर चला गया.

कमरे के अन्दर प्रीती दीदी के कपड़े पड़े हुए थे. उन कपड़ों में उनके टॉप, सूट, ब्रा और पैंटी भी थे. एक पैंटी फर्श पे पड़ी थी. ऐसा लग रहा था कि ये उन्होंने सुबह में ही उतारी होगी. मैंने उसे उठा कर सूंघा. एक अजीब सी मदहोश कर देने वाली स्मेल आई. मेरा लंड तो उनकी ब्रा और पैंटी देखकर ही खड़ा हो गया था तो मैंने वहीँ पे मूठ मारी और नीचे आ गया.

प्रीती दीदी घर पे मैक्सी पहन के रहती थीं. वो जब भी झुकतीं तो उनकी ब्रा और बूब्स दिखते. और मैक्सी के ऊपर से उनकी पैंटी का शेप भी दिखता. धीरे-धीरे उन्हें भी इसका एहसास होने लगा कि मैं उन्हें देखता हूँ.

एक दिन फिर जब घर पे कोई नहीं था और प्रीती दीदी भी अपने काम पे गयी हुयी थी तो मैं उनके कमरे में चला गया और पिछली बार की तरह उनकी पैंटी को हाथ में लेकर हस्तमैथुन करने लगा. लेकिन मैं भूल से नीचे वाला गेट लॉक करना भूल गया था. इतने में मुझे एक आवाज सुनाई दी जो प्रीती दीदी की थी. वो दरवाजे के पास खड़ी होकर मेरी हरकतें देख रही थीं. उन्होंने गुस्से में मुझे आवाज दी तो मैं चौंक गया. मेरे हाथ में अभी भी उनकी पैंटी थी.

उन्होंने गुस्से से मुझसे पुछा- ये क्या कर रहे हो तुम? आंटी को आने दो, तुम्हारी शिकायत करती हूँ.

मैं तो बिलकुल डर गया और उनसे बोला- प्लीज ऐसा मत करना, नहीं तो मम्मी गुस्सा करेंगी.

कुछ देर बाद जब उनका गुस्सा थोड़ा कम हुआ तो उन्होंने बोला- ये सब गन्दी हरकतें छोड़ दो.

फिर बोलीं- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या? जो ये सब कर रहे हो.

मैं- अगर होती तो ये सब क्यूँ करता? अब आप ने सब देख लिया है तो आप ही मेरी गर्लफ्रेंड बन जाओ न!

इसपे उन्होंने गुस्से में आखें दिखाई तो मैं तुरंत नीचे आ गया. वैसे घर पे अगले दिन तक कोई आने वाला तो था नहीं, तो मैं टीवी देखने लगा. रात में प्रीती दीदी ने ही हम दोनों का खाना बनाया. हमने साथ में ही खाना भी खाया. फिर मैं टीवी देखने लगा तो दीदी भी साथ में टीवी देखने लगीं. हम लोग बात नहीं कर रहे थे. फिर दीदी ने ही चुप्पी तोड़ी और कहा- क्या हुआ? तुम बोल क्यूँ नहीं रहे हो?

मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही.

दीदी- गर्लफ्रेंड वाली बात पे गुस्सा हो?

मैंने कुछ नहीं बोला. रात के 10 बजे तक हम दोनों में थोड़ी-थोड़ी बातें होने लगीं थी. मैंने प्रीती दीदी से फिर वही गर्लफ्रेंड बनने वाली बात दुहराई. 5 मिनट तक चुप रहने के उपरांत उन्होंने हाँ कर दी.

जैसे ही उन्होंने हाँ बोला! मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा. मैंने उनको गले लगा लिया. 5 मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे रहे. फिर जब वो जाने लगीं तो मैंने कहा – आज मेरे साथ यहीं सो जाओ, तो वो तैयार हो गई.

हम दोनों अन्दर कमरे में आकर बिस्तर पे लेट गए और बातें करने लगे. फिर मैंने अपना एक पैर उनके पैरों पे रख कर उसे सहलाने लगा. वो कुछ नहीं बोलीं. फिर मैं उनके और करीब आ गया. इतने करीब की हम दोनों के होंठ बिलकुल पास आ गए. दोनों की धड़कने तेज हो रही थीं. मैंने अपना एक हाथ उनकी कमर पे रखा और उनके पेट को सहलाने लगा.

मैंने उनकी ओर देखा. मैं उनकी गर्म साँसों को महसूस कर सकता था. मैंने अपने होंठ उनके होठों पे सटा दिए और उन्हें चूमने लगा. वो भी बराबर मेरा साथ दे रही थी. किस करते- करते ही मैं उनके उपर आ गया और मैक्सी के उपर से उनके बूब्स को दबाने लगा. फिर मैक्सी को ऊपर करके पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाने लगा. अब मेरा एक हाथ उनकी चूत पे था और एक हाथ उनके बूब्स पे. उनकी पैंटी अब तक गीली हो चुकी थी.

मैंने जल्दी से उनकी मैक्सी उतारने के बाद उनकी ब्रा और पैंटी को भी उनके जिस्म से अलग कर दिया. अब वो मेरे सामने पूरी नंगी लेटी हुयी थीं. उनकी चूत पूरी चिकनी थी. एक भी बाल नहीं थे, मानो आज ही शेव किया हो.

मैंने उनकी चूत चाटना शुरू किया. उनके मुँह से ऊऊउ..ईईइस्स्स….की आवाजें निकलने लगीं. फिर मैंने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए और 69 की अवस्था में आ गया. अब मैं उनकी चूत चुसाई कर रहा था और वो मेरा लंड चूस रही थीं. फिर हम दोनों ही झड गए. हम दोनों ने एक दूसरे का रस पी लिया. फिर लेट गए.

थोड़ी ही देर बाद वो फिर से मेरा लंड चूस रही थीं. अब मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने उनको लिटाया. उनकी चूत तो पहले से ही गीली थी. मैंने अपने लंड को उनकी चूत पे सेट किया और धक्का दिया लेकिन वो फिसल गया. फिर उन्होंने खुद मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पे सेट किया. अबकी मैंने धक्का लगाया तो लंड सरसराता हुआ उनकी चूत में चला गया. उनके मुँह से एक हल्की सी चीख निकली. अब मैंने उन्हें फिर से किस करना शुरू कर दिया. और धीरे धीरे अपने लंड को उनकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा. पूरे रूम में उनकी सिसकारियाँ गूंजने लगीं.

ये चुदाई 15 मिनट तक लगातार चली. इस बीच वो 2 बार झड़ गयीं. जल्दी ही मैं भी उनकी चूत में ही झड़ गया. हम दोनों पसीने- पसीने हो गए थे. कुछ देर बाद वो बाथरूम चली गयीं. जब लौट के आयीं तो मैंने पूछा – आप पहले भी चुद चुकी हैं?

उन्होंने जवाब दया- हाँ!

फिर हम बेड पर ऐसे ही नंगे सो गए. अब जब भी मौका मिलता, हम दोनों खूब चुदाई करते हैं. आज भी जब घर जाता हूँ तो उनको चोदता हूँ.

आप लोगों को मेरी कहानी कैसी लगी? प्लीज मेल कीजियेगा.