ट्रेन के जनरल डिब्बे में मिली चूत

वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में थी. अब मेरा लन्ड उसे चोदने के लिये फनफना रहा था. फिर उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए. वो मुझे सारे शरीर पर चूमते – चूमते मेरे लन्ड पर पहुंची और मेरे लन्ड को मुंह में ले कर चूसने लगी…

हेलो दोस्तों, मेरा नाम किशन है और मैं सूरत का रहने वाला हूँ. दोस्तों, मैं अन्तर्वासना पर कई कहानी पढ़ चुका हूँ. उन्हीं कहानियों को पढ़ कर मुझे भी अपनी कहानी आप लोगों के साथ साझा करने की प्रेरणा मिली है. आज मैं आपको मेरे साथ घटित हुई एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ. लेकिन कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपने बारे में थोड़ा और बता देना चाहता हूँ. दोस्तों, मेरी उम्र 25 साल है और मेरे लन्ड की लंबाई 8 इंच और मोटे 3 इंच है.

अब मैं आप लोगों का ज्यादा समय जाया न करते हुए सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ. जनवरी की बात है. मुझे कम्पनी के काम से अहमदाबाद जाना था. लेकिन क्रिस्मस के भीड़ की वजह से मुझे टिकट नहीं मिला था इसलिए मुझे जनरल कोच में ही जाना पडा. ट्रेन में मैं चढ़ गया और जैसे – तैसे मुझे बैठने के लिए थोड़ी सी जगह मिल गई.

मेरे बाजू में 40-45 साल की एक आन्टी बैठी हुई थी. पहले तो मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन ट्रेन चलने के बाद मैंने ध्यान दिया कि वो बैठ कर अपने बूब्स को मेरे हाथ से टच करवाने की कोशिश कर रही थी. अब मैंने भी उनका साथ देना चालू कर दिया. सुबह की ट्रेन होने की वजह से ज्यादातर लोग नींद में थे तो किसी का हम पर ज्यादा ध्यान नहीं था.

फिर मैंने धीरे – धीरे अपनी कोहनी से उसके बूब्स दबाने लगा. मुझे सच में बड़ा मजा आ रहा था. फिर मैंने उसकी तरफ देखा तो वो सोने का नाटक कर रही थी. फिर डेढ़ घन्टे तक मैं उसको छूता रहा. फिर अचानक उस आन्टी ने अपना हाथ मेरे लन्ड पर रख दिया. अब ये किसी को दिखे नहीं इसलिए मैंने अपना हैंडबैग उसके हाथ के ऊपर रख दिया.

फिर ये सिलसिला चलता रहा. इस दौरान कभी मैं उसके बूब्स को छूता और कभी उनकी कमर छूता. अब मेरा लन्ड फनफना रहा था और चोदने के लिए एक दम तैयार था. अभी तक मैंने तो उस आन्टी को ठीक से देखा भी नहीं था.

इतने में अहमदाबाद आने का समय हो गया. अब सब लोग जाग चुके थे. अब मैंने चुपके से अपना विजिटिंग कार्ड दे दिया. जिस पर मेरा नम्बर लिखा था. फिर हम अपने – अपने रास्ते पर निकल गए.

दोपहर का वक्त था और मैं एक मीटिंग खत्म करके एक होटल में रुका था. क्योंकि मुझे एक दिन के बाद एक और मीटिंग में जाना था तो एक दिन के लिये मैं फ्री था. दोपहर को आराम करते – करते मैं उस आन्टी के बारे में सोच ही रहा था कि तभी मेरे मोबाइल पर एक अनजान नम्बर से फोन आया.

मैंने फ़ोन रिसीव करके बात की तो यह फ़ोन ट्रेन में मुझे मिली उसी आन्टी का था. वो अहमदाबाद की ही रहने वाली थी और उसने अपना नाम नैना बताया. फिर थोड़ी देर तक हमने यहाँ – वहाँ की बातें की. इसके बाद फिर मैंने मैंने उसे मिलने के लिये कहा तो उसने भी मिलने की इच्छा जताई. अब मैंने उसे अपने होटल का पता दे दिया और उसे रात को 9 बजे के आस – पास आने को कहा.

इस बीच उसके इन्तजार में मैं दो बार मुठ मार चुका था. फिर वो करीब साढ़े नौ बजे होटल आई. क्या मस्त दिख रही थी यार वो! वह लाल रंग की एक दम पारदर्शी साड़ी पहन कर आई हुई थी. लाल साड़ी के साथ उसने ब्लैक कलर का ब्लाउज भी पहन रखा था. उसका फिगर 38-26-38 का था.

उसको तो देखते ही मेरा मन चोदने का होने लगा. लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया. चूंकि मैंने पहले ही डिनर का आर्डर दे दिया था तो फिर हमने साथ में डिनर किया. बाद में मैंने रूम के दरवाजे पर ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ का टैग लगवा दिया.

डिनर खत्म करने के बाद मैं फ्रेश हुआ. उसके बाद फिर मैंने उसके लाल रसीले होंठ पर 2 मिनट का लम्बा किस जड़ दिया और फिर मैंने उसकी साड़ी को खींच कर निकाल दिया. अब मैं उसको कमर और पेट पर किस करने लगा. जिससे वो एक दम उत्तेजित हो चुकी थी. फिर मैंने उसकी ब्लाउज निकाल दी और उसके घाघरे का नाड़ा भी खोल दिया.

वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में थी. अब मेरा लन्ड उसे चोदने के लिये फनफना रहा था. फिर उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए. वो मुझे सारे शरीर पर चूमते – चूमते मेरे लन्ड पर पहुंची और मेरे लन्ड को मुंह में ले कर चूसने लगी.

फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी निकाल दी और उसके बूब्स को मसलने लगा. उसके दूध जैसे गोरे और बड़े बूब्स को मसलने और चूसने में बड़ा मजा आ रहा था. वो अब एक दम उत्तेजित और गरम हो चुकी थी.

फिर उसने मुझे बताया कि उसका पति एक साल से कनाडा में है और वो तब से चुदी नहीं थी. उसके बूब्स को चूसते – चूसते मैंने उसकी चूत में उंगली डालना चालू कर दिया. मुझे इन सब में बहुत मजा आ रहा था. उसकी चिकनी चूत देख कर तो मेरे होश ही उड गए थे. वो आह आह आवाजें लगातार निकाल रही थी.

अब मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रख दिया और चूसने लगा. अब उससे रहा नहीं जा रहा था. वह लगातार “मुझे चोद दो, चोद दो” बोल रही थी. अब मैंने अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दिया और अन्दर – बाहर करने लगा.

थोड़ी देर तक चोदने के बाद जब मेरा वीर्य निकलने वाला था तब मैंने लन्ड निकाल कर उसके मुंह पर सारा वीर्य निकाल दिया. लेकिन उसकी भूख अभी मिटी नहीं थी. अब उसने मेरा लन्ड सहला कर खड़ा कर दिया और फिर अपनी गान्ड मारने को कहा. सुबह तक मैंने कई बार उसे अलग – अलग स्टाइल में चोदा. हमें बहुत मजा आया.

बाद में उसने मुझे अपनी सहेलियों को चोदने के लिये आमन्त्रित किया और बोली, “वे सब चोदने के बदले मुझे रुपये भी देगीं”. चूंकि मुझे हर महीने 10-12 दिन के लिए अहमदाबाद जाना ही पड़ता है इसलिए मैंने हाँ कर दी.

दोस्तों, अगर आपको मेरी कहानी अच्छी लगी हो तो मुझे ईमेल जरूर करना। बाद में मैं मेरी चुदाई की और भी कई सच्ची कहानियां अापको बताऊंगा. मेरी मेल आईडी